wheel

AJC Publications and Media Portal

 

But the Comforter, which is the Holy Ghost, whom the Father will send in my name, he shall teach you all things,
and bring all things to your remembrance, whatsoever I have said unto you. John 14:26


हबक्कूकअध्याय 3
  • 1 शिग्योनीत की रीति पर हबक्कूक नबी की प्रार्थना॥
  • 2 हे यहोवा, मैं तेरी कीर्ति सुन कर डर गया। हे यहोवा, वर्तमान युग में अपने काम को पूरा कर; इसी युग में तू उसको प्रकट कर; क्रोध करते हुए भी दया करना स्मरण कर॥
  • 3 ईश्वर तेमान से आया, पवित्र ईश्वर परान पर्वत से आ रहा है। उसका तेज आकाश पर छाया हुआ है, और पृथ्वी उसकी स्तुति से परिपूर्ण हो गई है॥
  • 4 उसकी ज्योति सूर्य के तुल्य थी, उसके हाथ से किरणें निकल रही थीं; और इन में उसका सामर्थ छिपा हुआ था।
  • 5 उसके आगे आगे मरी फैलती गई, और उसके पांवों से महाज्वर निकलता गया।
  • 6 वह खड़ा हो कर पृथ्वी को नाप रहा था; उसने देखा और जाति जाति के लोग घबरा गए; तब सनातन पर्वत चकनाचूर हो गए, और सनातन की पहाडिय़ां झुक गईं उसकी गति अनन्त काल से एक सी है।
  • 7 मुझे कूशान के तम्बू में रहने वाले दु:ख से दबे दिखाई पड़े; और मिद्यान देश के डेरे डगमगा गए।
  • 8 हे यहोवा, क्या तू नदियों पर रिसियाया था? क्या तेरा क्रोध नदियों पर भड़का था, अथवा क्या तेरी जलजलाहट समुद्र पर भड़की थी, जब तू अपने घोड़ों पर और उद्धार करने वाले विजयी रथों पर चढ़कर आ रहा था?
  • 9 तेरा धनुष खोल में से निकल गया, तेरे दण्ड का वचन शाप के साथ हुआ था। तू ने धरती को नदियों से चीर डाला।
  • 10 पहाड़ तुझे देख कर कांप उठे; आंधी और जलप्रलय निकल गए; गहिरा सागर बोल उठा और अपने हाथों अर्थात लहरों को ऊपर उठाया।
  • 11 तेरे उड़ने वाले तीरों के चलने की ज्योति से, और तेरे चमकीले भाले की फलक के प्रकाश से सूर्य और चन्द्रमा अपने अपने स्थान पर ठहर गए॥
  • 12 तू क्रोध में आकर पृथ्वी पर चल निकला, तू ने जाति जाति को क्रोध से नाश किया।
  • 13 तू अपनी प्रजा के उद्धार के लिये निकला, हां, अपने अभिषिक्त के संग हो कर उद्धार के लिये निकला। तू ने दुष्ट के घर के सिर को घायल कर के उसे गल से नेव तक नंगा कर दिया।
  • 14 तू ने उसके योद्धाओं के सिरों को उसी की बर्छी से छेदा है, वे मुझ को तितर-बितर करने के लिये बवंडर की आंधी की नाईं आए, और दीन लोगों को घात लगा कर मार डालने की आशा से आनन्दित थे।
  • 15 तू अपने घोड़ों पर सवार हो कर समुद्र से हां, जलप्रलय से पार हो गया॥
  • 16 यह सब सुनते ही मेरा कलेजा कांप उठा, मेरे ओंठ थरथराने लगे; मेरी हड्डियां सड़ने लगीं, और मैं खड़े खड़े कांपने लगा। मैं शान्ति से उस दिन की बाट जोहता रहूंगा जब दल बांध कर प्रजा चढ़ाई करे॥
  • 17 क्योंकि चाहे अंजीर के वृक्षों में फूल न लगें, और न दाखलताओं में फल लगें, जलपाई के वृक्ष से केवल धोखा पाया जाए और खेतों में अन्न न उपजे, भेड़शालाओं में भेड़-बकरियां न रहें, और न थानों में गाय बैल हों,
  • 18 तौभी मैं यहोवा के कारण आनन्दित और मगन रहूंगा, और अपने उद्धारकर्त्ता परमेश्वर के द्वारा अति प्रसन्न रहूंगा॥
  • 19 यहोवा परमेश्वर मेरा बलमूल है, वह मेरे पांव हरिणों के समान बना देता है, वह मुझ को मेरे ऊंचे स्थानों पर चलाता है॥