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But the Comforter, which is the Holy Ghost, whom the Father will send in my name, he shall teach you all things,
and bring all things to your remembrance, whatsoever I have said unto you. John 14:26


अय्यूबअध्याय 3
  • 1 इसके बाद अय्यूब मुंह खोल कर अपने जन्मदिन को धिक्कारने
  • 2 और कहने लगा,
  • 3 वह दिन जल जाए जिस में मैं उत्पन्न हुआ, और वह रात भी जिस में कहा गया, कि बेटे का गर्भ रहा।
  • 4 वह दिन अन्धियारा हो जाए! ऊपर से ईश्वर उसकी सुधि न ले, और न उस में प्रकाश होए।
  • 5 अन्धियारा और मृत्यु की छाया उस पर रहे। बादल उस पर छाए रहें; और दिन को अन्धेरा कर देने वाली चीज़ें उसे डराएं।
  • 6 घोर अन्धकार उस रात को पकड़े; वर्ष के दिनों के बीच वह आनन्द न करने पाए, और न महीनों में उसकी गिनती की जाए।
  • 7 सुनो, वह रात बांझ हो जाए; उस में गाने का शब्द न सुन पड़े
  • 8 जो लोग किसी दिन को धिक्कारते हैं, और लिब्यातान को छेड़ने में निपुण हैं, उसे धिक्कारें।
  • 9 उसकी संध्या के तारे प्रकाश न दें; वह उजियाले की बाट जोहे पर वह उसे न मिले, वह भोर की पलकों को भी देखने न पाए;
  • 10 क्योंकि उसने मेरी माता की कोख को बन्द न किया और कष्ट को मेरी दृष्टि से न छिपाया।
  • 11 मैं गर्भ ही में क्यों न मर गया? पेट से निकलते ही मेरा प्राण क्यों न छूटा?
  • 12 मैं घुटनों पर क्यों लिया गया? मैं छातियों को क्यों पीने पाया?
  • 13 ऐसा न होता तो मैं चुपचाप पड़ा रहता, मैं सोता रहता और विश्राम करता,
  • 14 और मैं पृथ्वी के उन राजाओं और मन्त्रियों के साथ होता जिन्होंने अपने लिये सुनसान स्थान बनवा लिए,
  • 15 वा मैं उन राजकुमारों के साथ होता जिनके पास सोना था जिन्होंने अपने घरों को चान्दी से भर लिया था;
  • 16 वा मैं असमय गिरे हुए गर्भ की नाईं हुआ होता, वा ऐसे बच्चों के समान होता जिन्होंने उजियाले को कभी देखा ही न हो।
  • 17 उस दशा में दुष्ट लोग फिर दु:ख नहीं देते, और थके मांदे विश्राम पाते हैं।
  • 18 उस में बन्धुए एक संग सुख से रहते हैं; और परिश्रम कराने वाले का शब्द नहीं सुनते।
  • 19 उस में छोटे बड़े सब रहते हैं, और दास अपने स्वामी से स्वतन्त्र रहता है।
  • 20 दु:खियों को उजियाला, और उदास मन वालों को जीवन क्यों दिया जाता है?
  • 21 वे मृत्यु की बाट जोहते हैं पर वह आती नहीं; और गड़े हुए धन से अधिक उसकी खोज करते हैं;
  • 22 वे क़ब्र को पहुंचकर आनन्दित और अत्यन्त मगन होते हैं।
  • 23 उजियाला उस पुरुष को क्यों मिलता है जिसका मार्ग छिपा है, जिसके चारों ओर ईश्वर ने घेरा बान्ध दिया है?
  • 24 मुझे तो रोटी खाने की सन्ती लम्बी लम्बी सांसें आती हैं, और मेरा विलाप धारा की नाईं बहता रहता है।
  • 25 क्योंकि जिस डरावनी बात से मैं डरता हूँ, वही मुझ पर आ पड़ती है, और जिस बात से मैं भय खाता हूँ वही मुझ पर आ जाती है।
  • 26 मुझे न तो चैन, न शान्ति, न विश्राम मिलता है; परन्तु दु:ख ही आता है।