- 1 हे यहोवा, तू अपने देश पर प्रसन्न हुआ, याकूब को बन्धुआई से लौटा ले आया है।
- 2 तू ने अपनी प्रजा के अधर्म को क्षमा किया है; और उसके सब पापों को ढांप दिया है।
- 3 तू ने अपने रोष को शान्त किया है; और अपने भड़के हुए कोप को दूर किया है॥
- 4 हे हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर हम को फेर, और अपना क्रोध हम पर से दूर कर!
- 5 क्या तू हम पर सदा कोपित रहेगा? क्या तू पीढ़ी से पीढ़ी तक कोप करता रहेगा?
- 6 क्या तू हम को फिर न जिलाएगा, कि तेरी प्रजा तुझ में आनन्द करे?
- 7 हे यहोवा अपनी करूणा हमें दिखा, और तू हमारा उद्धार कर॥
- 8 मैं कान लगाए रहूंगा, कि ईश्वर यहोवा क्या कहता है, वह तो अपनी प्रजा से जो उसके भक्त है, शान्ति की बातें कहेगा; परन्तु वे फिर के मूर्खता न करने लगें।
- 9 निश्चय उसके डरवैयों के उद्धार का समय निकट है, तब हमारे देश में महिमा का निवास होगा॥
- 10 करूणा और सच्चाई आपस में मिल गई हैं; धर्म और मेल ने आपस में चुम्बन किया है।
- 11 पृथ्वी में से सच्चाई उगती और स्वर्ग से धर्म झुकता है।
- 12 फिर यहोवा उत्तम पदार्थ देगा, और हमारी भूमि अपनी उपज देगी।
- 13 धर्म उसके आगे आगे चलेगा, और उसके पांवों के चिन्हों को हमारे लिये मार्ग बनाएगा॥
Psalms 085
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- Parent Category: Old Testament
- Category: Psalms
भजन संहिता अध्याय 85