- 1 हे यहोवा, हमारी नहीं, हमारी नहीं, वरन अपने ही नाम की महिमा, अपनी करूणा और सच्चाई के निमित्त कर।
- 2 जाति जाति के लोग क्यों कहने पांए, कि उनका परमेश्वर कहां रहा?
- 3 हमारा परमेश्वर तो स्वर्ग में हैं; उसने जो चाहा वही किया है।
- 4 उन लोगों की मूरतें सोने चान्दी ही की तो हैं, वे मनुष्यों के हाथ की बनाईं हुई हैं।
- 5 उनका मुंह तो रहता है परन्तु वे बोल नहीं सकती; उनके आंखें तो रहती हैं परन्तु वे देख नहीं सकतीं।
- 6 उनके कान तो रहते हैं, परन्तु वे सुन नहीं सकतीं; उनके नाक तो रहती हैं, परन्तु वे सूंघ नहीं सकतीं।
- 7 उनके हाथ तो रहते हैं, परन्तु वे स्पर्श नहीं कर सकतीं; उनके पांव तो रहते हैं, परन्तु वे चल नहीं सकतीं; और अपने कण्ठ से कुछ भी शब्द नहीं निकाल सकतीं।
- 8 जैसी वे हैं वैसे ही उनके बनाने वाले हैं; और उन पर भरोसा रखने वाले भी वैसे ही हो जाएंगे॥
- 9 हे इस्राएल यहोवा पर भरोसा रख! तेरा सहायक और ढाल वही है।
- 10 हे हारून के घराने यहोवा पर भरोसा रख! तेरा सहायक और ढाल वही है।
- 11 हे यहोवा के डरवैयो, यहोवा पर भरोसा रखो! तुम्हारा सहायक और ढाल वही है॥
- 12 यहोवा ने हम को स्मरण किया है; वह आशीष देगा; वह इस्राएल के घराने को आशीष देगा; वह हारून के घराने को आशीष देगा।
- 13 क्या छोटे क्या बड़े जितने यहोवा के डरवैये हैं, वह उन्हें आशीष देगा॥
- 14 यहोवा तुम को और तुम्हारे लड़कों को भी अधिक बढ़ाता जाए!
- 15 यहोवा जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है, उसकी ओर से तुम अशीष पाए हो॥
- 16 स्वर्ग तो यहोवा का है, परन्तु पृथ्वी उसने मनुष्यों को दी है।
- 17 मृतक जितने चुपचाप पड़े हैं, वे तो याह की स्तुति नहीं कर सकते,
- 18 परन्तु हम लोग याह को अब से ले कर सर्वदा तक धन्य कहते रहेंगे। याह की स्तुति करो!
Psalms 115
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- Parent Category: Old Testament
- Category: Psalms
भजन संहिता अध्याय 115